Computer kya hai ? uske bare me bataye|कम्प्यूटर क्या है ? पूरी जानकारी हिंदी में।
हेलो दोस्तों ! कैसे हे आप ? आशा करता हूँ, अच्छा ही होंगे।
आपका सवागत हे मेरे इस ब्लॉग में। आज की इस आर्टिकल में बताने वाला हूँ। की Computer क्या हे ? दोस्तों आपको पता होगा, आज की युग टेक्नोलॉजी की युग हे. आज के समय में Computer हर जगह उपयोग किया जा रहा हे जैसे की - दुकान में , स्कूल ,collage इत्यादि में। ऐसे में Computer के बारे में जानना बहुत जरुरी हो गया हे। यदि आप Computer की पूरी जानकारी सीखना चाहते हे, तो इस आर्टिकल को अंत पढ़िए। आप के फायदे के लिए। तो चलिए आज हम Computer को बारीकी से समझते हैं।
Computer की परिभाषा
यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हे. जो डेटा उपयोगता से इनपुट के रूप में लेता हे, उसे प्रोसेस करता हे और उपयोगता को आऊटपुट के रूप में परिणाम देता हे .
Computer की full from.
कंप्यूटर कैसे कार्य करता हैं?
कंप्यूटर की विशेषताएँ ( Features of Computer)
कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के कंप्यूटर से मानी जाती हे, जिसका अर्थ होता हे गणना करना। कंप्यूटर को हिंदी भाषा में अभिकलित्र और संगणक भी कहा जाता हे. पहले कंप्यूटर को कॅल्क्युलेशन के लिए उपोग किया जाता था। इसमें लोगोंi की जनसँख्या को गणना की जाते थे । आज के समय में वैज्ञानिकों ने इसे बहुत फास्ट कर दिया गया हे। इसलिए इसका उपयोग आजकल हर क्षेत्रों में किया जाता हे।
कंप्यूटर की खोज किसने और कब किया था ?
एप्लीकेशन पर आधारित कंप्यूटर के प्रकार
- Analog computer :- इस कंप्यूटर का प्रयोग भौतिक मात्राओं ( दाब ,तापमान, लम्बाई इत्यादि ) नापने के लिए विज्ञानं एवं engineering के क्षेत्रों में किया जाता हे , क्योंकि इन क्षेत्रो में परिणाम का उपयोग ज्यादा किया जाता हे। इसके उदहारण है - स्पीडोमीटर , भूकम्प -सूचक यन्त्र आदि।
- Digital computer डिजिटल कंप्यूटर यह अंको की गणना करता हे इसलिए इसका उपयोग अधिक किया जाता हे ज्यादातर कंप्यूटर डिजिटल ही होते हे
क्षमता पर आधारित कंप्यूटर के प्रकार
1 General purpose Computer
इसका उपयोग सामान्य कार्य के लिए किया जाता हे। घरो एवं दुकानों में किया जाता हे।
2 special purpose Computer
यह विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता हे। इनका उपयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता हैं। जैसे - मौसम विज्ञानं , कृषि विज्ञानं एवं युद्ध अदि। इनका उपयोग विज्ञानों में किया जाता हे।
आकर एवं कार्य के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार
1 MICRO COMPUTER यह कंप्यूटर आकर में छोटे होते हैं इस कंप्यूटर का विकास सन 1970 में हुआ था. इस कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया गया हैं इसलिए इसको माइक्रो कंप्यूटर कहा जाता हे। इस कंप्यूटर का उपयो बड़े -बड़े बिज़नेस में वर्ड प्रोसेसिंग एवं फाइल सिस्टम के लिए और छोट बिज़नेस में अकॉउंटिंग के लिये साथ ही साथ इसे एंटरटेमेंट के लिए भी उपयोग किया जाता हैं। जैसे - मूवी देखना ,न्यूज़ देखना और गेम खेलना अदि। इस कंप्यूटर कई भागों में बांटा दिया गया।
(a)Desktop computer
(b)Laptop computer
(c)Palmtop computer
(d)Notebook computer
(e) Tablet computer
(a). Desktop computer = इस कंप्यूटर को टेबुल में रख कर चलाया जाता हैं। इसमें कई सरे पार्ट होते हे जैसे - Monitor, mouse keyboard , motherboard और power के लिए ups का उपयोग करते हैं
(b) Laptop computer= यह कंप्यूटर आकर में छोटे होते हैं। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान में आसानी से ले जा सकते हैं। इसे गोद में रख कर चलाया जाता हे। इसे Laptop का मतलब होता हे lap =गोद +top ऊपर।
(c) Palmtop computer = इस कंप्यूटर नाम से ही पता चलता है। (Palm= हाँथ +top= ऊपर ) यह कंप्यूटर लैपटॉप कंप्यूटर से थोड़ा छोटा होते हैं। इसको जेब में रखा जा सकता हैं, इसमें कार्य करने की क्षमता भी काम होती हैं
(d)Notebook computer यह कंप्यूटर लैपटॉप कंप्यूटर के सामान होते हैं।
(e)Tablet computer = यह कंप्यूटर मोबाइल से थोड़ा बड़े होते हैं। यह टच स्क्रीन होते , इसे स्क्रीन में टच करके चलाया जाता है।
2 mainframe computer यह कम्प्यूटर अत्यधिक बड़े होते हैं , इसके कार्य करने की क्षमता तथा कीमत माइक्रो कम्प्यूटर और मिनी कम्प्यूटर से ज्यादा होती है , इस कम्प्यूटर का उपयोग बड़े - बड़े कंपनियों एवं सरकारी विभागों में किया जाता है। मेनफ़्रेम कम्प्यूटर को ऐक्सेस करने के लिए उपयोगकर्ताओं को नोड का इस्तमाल करना होता है। ज्यादातर मेनफ़्रेम कम्प्यूटर का उपयोग बड़े कंपनियों में भुगतानों का ब्यौरा रखने , बिलों को भेजने , कर्मचारियों का भुगतान करने , उपभोगताओं द्वारा वस्तुओं का ब्यौरा रखने इत्यादि कार्यों के लिए किया जाता है. इसके उदहारण हैं - CRAY-1,CDS-CYBER, IBM 4381,ICL 39, UNIVAC-1110 आदि।
3 Mini computer का आकर माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा और मेनफ़्रेम कंप्यूटर से छोटा होता है इस कंप्यूटर में एक से अधिक सीपीयू होते है। मिनी कंप्यूटर की स्पीड मेनफ्रेम कंप्यूटर से काम होते और माइक्रो कंप्यूटर ज्यादा होती है। इस कंप्यूटर पर एक समय में एक से अधिक लोग कार्य कर सकते है। मिनी कंप्यूटर का उपयोग बड़ी -बड़ी कंपनियों एवं सरकारी ऑफिस में , यातायात में यात्रिओं को आरक्षण के लिए , बैंकिंक कार्य के लिए किया जाता है। DEC- डिजिटल इक्विपमेंट कोर्पोरशन कंपनी ने 1965 में बनाया था।
4. SUPER COMPUTER सुपर कम्प्यूटर अधिक गति ,संग्रह क्षमता एवं उच्च विस्तार वाले होते हैं। इनका आकर एक कमरे के बराबर होता है। विश्व में पहला सुपर कम्प्यूटर क्रे रीसर्च कंपनी द्वारा 1976 में क्रे-1 बनाया गया था भारत के पास भी सुपर कम्प्यूटर है, जिसका नाम परम (PARAM) है।,इसका विकास C-DAC ने किया है.इसका विकसित रूप 'परम -10000' भी तैयार कर लिया है। सुपर कम्प्यूटर का उपयोग मौसम के भविष्वाणी करने , एनिमेशन और चलचित्र का निर्माण करने , अंतरिक्ष यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों अंतरिक्ष में भेजना ,बड़ी विज्ञानी एवं शोध प्रोयगशालाओं में खोज इत्यादि कार्य के लिए इस्तमाल किया जाता है। इसके कुछ उदहारण है जैसे - PARAM,PARAM-10000, CRAY-1, CRAY-2 , NEC-500 आदि।
कम्प्यूटर विकास का इतिहास (History of Computer Evolution)
आधुनिक कम्प्यूटर असितत्व में आए हुए। लगभग 50 वर्ष ही हुए है।, लेकिन इसका विकास इतिहास बहुत पुराना है। कम्प्यूटर हमारे जीवन के हर पहलु में किसी - किसी तरह से सम्मिलित है। पिछले लगभग 5 साल से हमारे रहन -सहन एवं शिक्षा आदि पूरी तरह से बदल दिया। लेकिन कम्प्यूटर को यंहा तक लेन में बहुत सारि विज्ञानिकों का योगदान है।
अबेकस : अबकेस का अविष्कार चीन के ली काई चेन ने 16वीं शताब्दी में किया था.यह लकड़ी एक आयातकार ढांचा होता था। जिसके अंदर तारों का एक फ्रेम लगा होता था। जोड़ और घटाव के साथ वर्गमूल भी किया जाता था।
नेपियर्स बोन्स इसका अविष्कार जॉन नेपियर ने 1617 में किया था। यह जानवरों की हड्डियों से बानी आयातकार पट्टियां होती थी। इसमें 10 आयातकार पट्टियां पर 0 से 9 तक पहाड़े इस प्रकार लिखे होते हैं की एक पट्टी के दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई के अंक के पास आ जाते हैं।
स्लाइड रूल यह जर्मनी के वैज्ञानिक विलियम ने 1620 में अविष्कार किया था। इसमें दो विशेष प्रकार के चिन्हित पट्टीयां होती थी , जिन्हें बराबर में रखकर आगे -पीछे सरकाकर लघुगणक की क्रिया सम्पन्न होती थी। पट्टियां पर चिन्ह प्रकार होते थे की किसी संख्या के शून्य वाले चिन्ह से वास्तविक दूरी उस संख्या के किसी साझा आधार पर लघुगणक के समानुपाती होती थी। इसमें लघुगणक विधि के आधार पर सरलता से गणनाएँ कर सकता था।
पास्कलाइन 1642 में फ्रांस के वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने किया था यह प्रथम एडिंग मशीन है।यह मशीन ओडोमीटर एवं घड़ी के सिद्धांत पर कार्य करती थी। इस मशीन में कई दाँतेदार चक्र और पुराने टेलीफोन तरह घुमाने वाले डायल होते थे , जिन पर 0 से 9 तक की संख्या अंकित होती थी। इसका उपयोग संख्या को जोड़ने और घटाने के लिए करते थे।
लेबनीज का यांत्रिक केलकुलटेर गॉटफ्रेड वॉन ने 1671 में अविष्कार किया। इस मशीन लेबनीज की 'रेकिंग मशीन ' भी कहा जाता है। यह मशीन जोड़ व् घटाव के साथ- साथ गुणा व भाग करने में समर्थ थी इसका उपयोग कार व स्कूटर में की जाती है।
जेकॉर्डस लूम 1801 में जोसेप मेरी जैकार्ड ने अविष्कार किया था। यह एक ऐसे बुनाई मशीन थी ,जिसमे बुनाई के डिजाइन डालने के लिए छिद्र किये हुए कड़ों का उपयोग किया जाता था। इसका उपयोग कपडे बुनने के लिए किया जाता था।
डिफरेंस इंजन चार्ल्स बैबेज ने 1822 में अविष्कार किया। इस मशीन में शॉप्ट तथा गियर लगे होते थे तथा यह मशीन भाप से चलती थी। इस मशीन की मदद से विभिन्न बीजगणितीय फलनों का मान दशमलव 20 स्थानों तक शुद्धतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता था। इसका उपयोग बिमा , डाक , रेल उत्पादन में किया जाता था।
एनालिटिकल इंजन 1833 में चार्ल्स बैबेज ने अविष्कार किया था। इस मशीन पाँच भाग थे 1 इनपुट इकाई 2 स्टोर 3 मिल 4 कंट्रोल 5 आऊटपुट इकाई थी। इस मशीन को आधुनिक कम्प्यूटर का प्रारूप माना जाता है। यह एक मैकनिकल मशीन है। इसका उपयोग सभी गणित क्रियाओं को करने में किया जाता था।
टैबलूटिंग मशीन हर्मन हॉलेरिथ ने 1880 में अविष्कार किया था। इसमें संख्या पढ़ने का कार्य छेद किए हुए कार्डों दवारा किया जाता था। यह मशीन एक समय एक कार्ड को पड़ा -जाता था। सन 1896 में होलेरिथ ने 'टेबलूटिंग मशीन कंपनी ' की स्थापना की जो पंचकार्ड यन्त्र का उत्पादन करती थी। इसके बाद सन 1924 में इसका नाम 'इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कर दिया गया. इसका उपयोग 1890 की जनगणा में था।
मार्क -1 1930 में हावर्ड आइकन ने अविष्कार किया था। यह विश्व का प्रथम पूर्ण स्वचालित इलेक्ट्रॉनिकल मशीन था। इसमें इंटरलॉकिंग पैनल के छोटे गिलास , काऊंटर ,स्विच और नियन्त्रण सर्किट होते थे .इसमें डेटा मैन्युअल रूप से एंटर किया जाता है संचय के लिए मैग्नेटिक ड्रम प्रयोग किये जाते थे। इसका उपयोग गणनाएँ करने के लिए करते थे।
एनिएक जे पी एकर्ट और जॉन मौचली ने 1946 अविष्कार किया था। यह पहला डिजिटल कम्प्यूटर था। इसमें 18000 वैक्यूम ट्यूब लगी थी। इसका उपयोग प्रिवेट फर्मो ,इंजीनयर्स रिसर्च एसोसिएशन और आई बी एम में किया गया था।
एडसैक इसका अविष्कार मौरिस विल्कस ने 1949 में किया था। पहला डिजिटल प्रोग्राम संग्रहित कम्प्यूटर।था। 1950 में, एम वी विल्कस और व्हीलर ने जिन आवृतियों से संबधित डिफ्रेंशियल समीकरण को हल करने के लिए EDSAC का इस्तेमाल किया। 1951 में , मिलर और व्हीलर ने एक 79 अंको के प्राइम नंबर की खोज करने के लिए EDSAC का इस्तेमाल किया
EDVAK 1950 में जॉन वॉन न्यूमैन ने अविष्कार किया था। यह 30 टन बड़ा 150 फिट चौड़ा था। इसका उपयोग गणना करने के लिए किया था।
युनिवैक जे फ्रेस्पर एकर्ट और जॉन मौचली ने 1951 अविष्कार किया था। यह इनपुट व आउटपुट की समस्या को अतिशीघ्र हल करता था। सामान्य उद्देदश्य के लिए प्रयोग किये जाने वाला प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था। यह संख्या और शब्द दोंनो प्रकार के डेटा को संसाधित करता था। इसमें मेग्नेटिक टेप का प्रयोग इनपुट और आउटपुट के लिए करता था। इसका वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए किया जाता था।
कम्प्यूटर की पीढ़ियां (Generation of Computer)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद कम्प्यूटर का विकास तेजी से होने लगा। तथा उनके आकर - प्रकार में परिवर्तन होने लगे। आधुनिक कम्प्यूटर के विकास के इतिहास को टेक्नोलॉजी के अनुसार कई भागों में बांटा गया
.
पहली पीढ़ी -First generation(1940-1956)
कम्प्यूटर पहली पीढ़ी 1940 -56 मानी जाती है। इस पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया। इसमें मशीनों की संख्या ( बाइनरी 0 और 1 ) प्रयोग किया गया था। इसमें मेमोरी की तोर पर चुंबकीय टेप एवं पचकार्ड का उपयोग किया जाता था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर के नाम इस प्रकार है - ENIAC , EDSAC, EDVAC, UNIVAC-2 ,IBM-701,इत्यादि।
दूसरी पीढ़ी -Second generation (1956-1963)
दूसरी पीढ़ी 1956 -1963 तक मानी जाती है। इस पीढ़ी में transistor का प्रयोग किया गया। जिसका विकास Willon Shockly ने 1947 में किया था। इसमें असेम्ब्ली भाषा का किया था . इसमें मेमोरी की तोर पर चुंबकीय टेप का उपयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर IBM 1401 प्रमुख है , जो बहुत लोकप्रिय और बड़े पैमाने पर उत्पादित किया गया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर के नाम इस तरह था - IBM-1602, IBM-7094 , आदि।
तीसरी पीढ़ी -Third generation(1964-1971)
तीसरी पीढ़ी कम्प्यूटर 1964 से मानी जाती है। इस पीढ़ी में IC का प्रयोग किया गया , जिसका पूरा नाम Intergrated circuit है। IC का विकास 1958 में Jack Kibly ने किया था। इसमें आई सी टेक्नोलॉजी (SSI) का प्रोग किया गया था . इसका पूरा नाम Small Scale Integration है। इसमें हाई लेविल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया गया। इसमें मेमोरी की तोर पर चुंबकीय डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी की कम्प्यूटर मदद से मल्टीप्रोग्रमिंग और मल्टी परोसिंग संभव हो पाया। इस पीढ़ी के कंप्यूटर है -IBM-360,IBM 370 आदि है।
चौथी पीढ़ी fourth generation (1971-1989)
चौथी पीढ़ी कम्प्यूटर 1971 -1989 तक मानी जाती है इस पीढ़ी में IC की यह टेक्नोलॉजी VSLI थी इसका पूरा नाम Very large - Scale integration है। इसमें हाई लेवल भाषा पप्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। इसमें केवल एक सिलिकॉन चिप पर कम्प्यूटर के सभी एकीकृत परिपथ को लगाया जाता है , जिसे मइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है। इस चिप का प्रयोग करने वाले कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाता है। पांचवी पीढ़ी
कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी 1989 सेमानी जाती है। इस पीढ़ी IC को आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाने लगा था IC की यही तकनीकी USLI Ultra Large Scale Integration है। इसमें हाई लेवल भाषा का उपयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। जो अधिक सरल है। इस भाषाओँ में GUI का प्रयोग किया जाता है।
आज अपने क्या सीखा ?
तो दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने सीखा कम्प्यूटर क्या है , कम्प्यूटर की फुल फ्रॉम , कम्प्यूटर कैसे काम करता है , कंप्यूटर की विशेषताएं , कम्प्यूटर शब्द उत्पति , कम्प्यूटर खोज किसने और कब किया , कम्प्यूटर के प्रकार , कम्प्यूटर विकास की इतिहास , कंप्यूटर पीढ़ियां उम्मीद करता हूँ इस आर्टिकल से आप को मदद मिले होंगे और आपको मेरा ब्लॉग पसंद आये होंगे। फिर भी आपको इस आर्टिकल से या ब्लॉग से कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में बताये में जल्दी सुधारने की कोशिश कर्रूँगा। यदि आप पहली ब्लॉग पर अये हे तो ब्लॉग सब्सक्राइब जरूर करें।
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